Joshimath Sinking: 47 साल ही हो जाते सचेत तो न होती तबाही,विशेषज्ञों की कमेटी ने खतरों पर किया था सचेत, बताई थी वजह

Uttarakhand Press7 Jan 2023:चीन सीमा से सटे चमोली जिले के जोशीमठ शहर में हो रहे भूधंसाव को लेकर यदि तंत्र 47 साल पहले ही चेत जाता तो आज ये नौबत नहीं आती। उत्तर प्रदेश के दौर में वर्ष 1976 में तत्कालीन गढ़वाल मंडलायुक्त महेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञों की कमेटी ने जोशीमठ में ऐसे खतरों को लेकर सचेत किया था।

दिए थे नदी से भूकटाव की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने के सुझाव:
साथ ही पुराने भूस्खलन क्षेत्र में बसे इस शहर में पानी की निकासी को पुख्ता इंतजाम करने और अलकनंदा नदी से भूकटाव की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने के सुझाव दिए थे। तब इक्का-दुक्का नालों का निर्माण हुआ, लेकिन बाद में इस तरफ आंखें मूंद ली गईं। इस अनदेखी का नतीजा आज सबके सामने है। समुद्रतल से 2500 से लेकर 3050 मीटर की ऊंचाई पर बसे जोशीमठ शहर का धार्मिक और सामरिक महत्व है। यह देश के चारधामों में से एक बदरीनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल है तो सेना व अद्र्धसैनिक बलों के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव भी है। इन दिनों यह खूबसूरत पहाड़ी शहर वहां हो रहे भूधंसाव और भवनों में निरंतर पड़ रही दरारों को लकर चर्चा में है।

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