Uttarakhand: डॉक्टर ने पत्नी के साथ लगाया मौत का इंजेक्शन, 12 साल के मासूम ने दी माता-पिता को मुखाग्नि..

Uttarakhand Press News, 02 June 2023: Doctor Suicide With Wife (काशीपुर ) माता-पिता को खोने का गम 12 साल के बेटे इशान के चेहरे पूरी कहानी बयां कर रही थी। शर्मा परिवार को नजदीक से जानने वाले बताते हैं इशान ने इतनी कम उम्र में जो धर्य दिखाया है वह हर किसी के बस की बात नहीं।

शहर के सैनिक कालोनी में बीते दिन हुए दिल दहलाने वाली घटना ने परे परिवार को झकझोर कर रख दिया। माता-पिता को खोने का गम 12 साल के बेटे इशान के चेहरे पूरी कहानी बयां कर रही थी। जिनके हाथ से कल खाने का निवाला खाता था, उन्हें ही मुखाग्नि देकर बेटा और बेटी अपना दर्द बांट रहे थे। इन दोनों के दर्द की पीड़ा शायद और भी कोई महसूस कर सकता है।

पुलिस की तरफ से बताया गया है कि दंपती को पोस्टमार्टम कर दिया गया। जिसमें शरीर के अंदर कैमिकल का पता करन के लिए उसे बिसरा लैब भेजा जा रहा है। जिससे पता चल सकेगा कि आखिर किस दवा का कितनी मात्रा में ओवर डोज हुआ था और यह कितने समय अंतराल में शरीर में लिया गया।

शर्मा परिवार को नजदीक से जानने वाले बताते हैं इशान ने इतनी कम उम्र में जो धर्य दिखाया है वह हर किसी के बस की बात नहीं। उसका कहना है कि वह अपने पिता के सपने को पूरा करेगा। वहीं बहन उसे लगातार ढांढस बधाते हुए उसके साथ होने की बात कह रही है।

अब क्यों नहीं आ रहा कोई पैसे मांगने वाला …
पैसे को लेकर चिकित्सक डॉ. इंद्रेश शर्मा ने पैसे लौटाने वालों के दवाब में अपनी और अपनी पत्नी वर्षा की जीवन लीला समाप्त कर दी। उसके साथ खड़ा होने वाला कोई नहीं था। कहने को चिकित्सक, लेकिन पूरी कमाई बीमारी में लग जाने के बाद भी उधार लेने की नौबत से तंग आ चुके डॉ शर्मा को से आज कोई मांगने वाला नहीं आया। उनके परिजनों ने कहा कि अब क्यों नहीं आ रहे हैं पैसे मांगने वालों के फोन..।

बेटे को नहीं दिया था कोई इंजेक्शन:
जांच में यह बात पुष्ट हो गई है कि दंपती ने अपने बेटे को किसी प्रकार का कोई इंजेक्शन नहीं लगाया था। यह पूरा मामला मनगढ़त बोला गया था। वह अपने बेटे को किसी प्रकार से कोई क्षति नहीं पहुंचान चाहते थे। चिकित्सक ने सिर्फ खुद को व अपनी पत्नी को इंजेक्शन लगाया है।

क्या सामाजिक दूरिया बन रही है ऐसी घटनाओं का जिम्मेदार:
आज के दौर में कहीं न कहीं सामाजिक जिम्मेदारी निभाने से हर कोई बच रहा है। ऐसा नहीं है चिकित्सक ने ऐसा कदम एक झटके में उठा लिया हो। उनकी मुश्किल की इस घड़ी में कोई भी साथ देने वाला नहीं था। उनहें कोई समझाने वाला नहीं था। हालात से संघर्ष करने के लिए कोई ऐसा कंधा नहीं था जो उनके दुख कम कर सके।

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