Uttarakhand Press News, 3 January 2023: शासन ने राजस्व क्षेत्रों में अपराध पर अंकुश लगाने और शांति व्यवस्था बनाने के लिए नियमित पुलिस की सीमा का विस्तार किया है।
इस क्रम में 52 थाने एवं 19 रिपोर्टिंग चौकियों का विस्तार करते हुए इनके अंतर्गत 1800 राजस्व ग्रामों को लाया गया है। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
पौड़ी जिले के अंतर्गत यमकेश्वर क्षेत्र के वनंतरा रिसार्ट प्रकरण के बाद सरकार ने राजस्व क्षेत्रों को चरणबद्ध तरीके से नियमित पुलिस को सौंपने का निर्णय लिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक प्रकरण की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को छह माह के भीतर राजस्व क्षेत्रों में थाने व चौकियां खोलने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सरकार ने यह निर्णय लिया कि पर्वतीय क्षेत्रों में जहां पहले से ही थाने व चौकियां स्थापित हैं, उनका क्षेत्र विस्तार करते हुए नजदीकी ग्रामों को शामिल कर लिया जाए। जो राजस्व ग्राम इनसे दूर हैं, वहां नए थाने व चौकियां स्थापित कर ली जाएं।
इस पर पुलिस मुख्यालय ने 52 थानों व 19 पुलिस चौकियों का विस्तार करते हुए इनमें 1800 राजस्व ग्रामों को शामिल करने का प्रस्ताव शासन को सौंपा। इस प्रस्ताव के आधार पर शासन ने इन गांवों को नियमित पुलिस व्यवस्था के अंतर्गत अधिसूचित कर दिया है। अब यहां नियमित पुलिस ही कानून-व्यवस्था का कार्य देखेगी।
अब अगले चरण में राजस्व क्षेत्रों में छह थाने व 20 रिपोर्टिंग चौकियां खोली जाएंगी। इनके दायरे में 1444 गांव शामिल किए जाएंगे। अपर सचिव गृह विम्मी सचदेवा ने कहा कि जल्द ही इन गांवों को नियमित पुलिस व्यवस्था के अंतर्गत अधिसूचित किए जाने की कार्यवाही पूर्ण कर ली जाएगी। इसके बाद यहां थाने व चौकियां खोलने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
राजस्व क्षेत्र को पुलिस में शामिल करने के ये रहे मुख्य कारण
- प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में आजादी के बाद से ही राजस्व पुलिस कानून-व्यवस्था का जिम्मा देख रही थी।
- राज्य गठन के बाद भी यह व्यवस्था बदस्तूर जारी रही।
- इस दौरान पुलिस ने राजस्व क्षेत्रों में बढ़ते अपराध के मद्देनजर इन्हें नियमित पुलिस को शामिल करने का प्रस्ताव शासन को भेजा।
- उस समय शासन ने यह कहते हुए प्रस्ताव लौटा दिया था कि पटवारी पुलिस यानी राजस्व पुलिस की अनूठी व्यवस्था केवल उत्तराखंड में ही है और राजस्व क्षेत्रों में नियमित पुलिस की जरूरत नहीं है।
- नतीजा यह हुआ कि राजस्व क्षेत्रों में अपराध बढऩे लगे। सीमित संसाधन वाल राजस्व पुलिस ने अपराधों की जांच पुलिस को हस्तांतरित करनी शुरू कर दी।
- राजस्व क्षेत्रों में मुकदमें लिखने में हो रही देरी और पंजीकृत अपराधों की सुस्त जांच के चलते इस व्यवस्था को बदलने की मांग उठने लगी।
- वनंतरा रिसार्ट प्रकरण के बाद आखिरकार राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाए गए।
इन जिलों से इतने गांव हुए शामिल
- नैनीताल – 39
- अल्मोड़ा – 231
- पिथौरागढ़- 595
- बागेश्वर – 106
- चंपावत – 13
- देहरादून – 04
- उत्तरकाशी – 182
- चमोली- 262
- टिहरी- 157
- रुद्रप्रयाग- 63
- पौड़ी – 148