मणिपुर वायरल वीडियो मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, केंद्र ने हलफनामा दायर कर कहा- CBI को सौंपी गई जांच

Uttarakhand Press 28 July 2023: मणिपुर वायरल वीडियो मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। उससे पहले केंद्र सरकार ने गुरुवार को शीर्ष अदालत को बताया कि उसने संघर्षग्रस्त मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने से संबंधित मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। सरकार का दृष्टिकोण महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध के प्रति शून्य सहिष्णुता का है। गृह मंत्रालय के सचिव अजय कुमार भल्ला ने हलफनामा दायर किया।

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर (Manipur) में महिलाओं के निर्वस्त्र घुमाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज सुनवाई करेगा। उससे पहले केंद्र ने गुरुवार को हलफनामा दायर कर बताया कि इस मामले की जांच सीबीआई (CBI) को सौंप दी गई है। शीर्ष अदालत ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि उन्होंने मामले में क्या कार्रवाई की है।

‘महिलाओं के खिलाफ अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस का है दृष्टिकोण’:
केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार का दृष्टिकोण महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस का है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और मणिपुर सरकार को तत्काल उपचारात्मक, पुनर्वास और निवारक कदम उठाने और की गई कार्रवाई से अवगत कराने का निर्देश दिया था।

‘सीबीआई को सौंपी गई जांच’:
गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला के माध्यम से दायर एक हलफनामे में शीर्ष अदालत से उस मामले में मुकदमे को मणिपुर के बाहर स्थानांतरित करने का भी आग्रह किया, जिसमें अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस पर अपना जवाब दाखिल करते हुए केंद्र ने कहा, मणिपुर सरकार ने दिनांक 26.07.2023 के पत्र के माध्यम से सचिव, डीओपी एंड टी को मामले को आगे की जांच के लिए सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की है, जिसे गृह मंत्रालय ने दिनांक 27.07.2023 के पत्र के माध्यम से सचिव, डीओपी एंड टी को विधिवत सिफारिश की है। इस प्रकार, जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी जाएगी।

हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल ‘अस्वीकार्य’:
पिछले सप्ताह मणिपुर का वायरल वीडियो सामने आया था। शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को घटना पर ध्यान दिया और कहा था कि वह वीडियो से परेशान है। हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल ‘संवैधानिक लोकतंत्र में बिल्कुल अस्वीकार्य’ है।

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